लेकिन कांग्रेस-भाजपा के बीच पूरी तरह ध्रवीकृत हो चुके इस प्रदेष में तीसरा मोर्चा खड़ा करना आसान नहीं है ।
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आलस्य, प्रमाद, आवेश, असंयम आदि दुर्गुणों के विरुद्ध कड़ा मोर्चा खड़ा करना पड़ता है और पग-पग पर उनसे जूझने के लिए तत्पर रहना पड़ता है।
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जो लोग पिछले कुछ समय से लगातार यूपीए सरकार को बचा रहे हैं, वही अब कांग्रेस की राजनीति को चुनौती देने के लिए तीसरा मोर्चा खड़ा करना चाहते हैं।
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चिंता बस इस बात को लेकर है कि हजारे के इर्द-गिर्द बहुत सारे अवांछित तत्व जमा हो गए है और इनके कारण फिर से ईमानदार, पंथनिरपेक्ष मोर्चा खड़ा करना कठिन होगा।